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श्रवण सुनत कटि जात पाप जहँ, सीताराम खेलैं होरी।।
कौन के हाथ कनक पिचकारी, को जा अबीर भरैं झोरी।।
कौन से नें यह रंग बनायौ, कौन की चूनरि रंग बोरी।।
राम के हाथ कनक पिचकारी, लछिमन अबीर भरैं झोरी।
भरत शत्रुघन रंग बनायौ, सीता की चूनरि रंग बोरी।।