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बैठी रहौं तो रहै ढिंग ठाड़ौ, जो उठि धाऊं तौ आगें ही आवै।।
सोइ जाउँ सपने में देखों, जागि परों हँसि कंठ लगावै।।
मौन रहौं तौ रहै अनबोलौ, बोलि उठों घट माहिं समावै।।
संग मुरारी रहै निसिवासर, हाथ पसारौं तौ हाथ न आवै।।