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अभी जाय के गोकुल में, कंस से करूंगी पुकार।।
कन्हैया मुझ पर....
नाथ तोड़ डारे है, सब गहने मेरे।
कहे अनाड़ी कंस लगे क्या हैं तेरे।।
मारग रोके खड़ा रहे वो, करे हमेशा रार।।
कन्हैया मुझ पर...
ले ग्वालों को संग इधर वो आ जावे।
सब पर डारे रंग उन्हें भी बहकावे।।
माने ना वो बात हमारी, करता है तकरार।।
कन्हैया मुझ पर...
सुनी बात ग्वालन की बोले यों काना।
अरी रूठ यों बाले मुझसे ना जाना।।
पहनाऊँगा बड़ा अमोलक इन बाहों का हार।।
कन्हैया मुझपर...
हंसी जरा सी बात सावंरा की सुन के।
पिचकारी ली छीन हाथ में से उनके।।
छोड़ो ना ‘विश्वेश’ संग यह नाथ करूँ मनुहार।।
कन्हैया मुझपर...