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जा जुगिया के संगवां में हुइवै जोगिनियाँ हो रामा।
वन में जइवैं लकड़ी लइवैं, अंग भभूति रमइवै हो रामा।।
एकलो जोगी रस के भोगी, दूजै जोगी छल वलिया हो रामा।।