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केसरिया पहिरि है जाउ न्यारी।।
रघुवर तुम पहिरौ पीताम्बर, बाँधौ पाग लटकारी।।
अब तौ भई महल की बिरियाँ, अँग अँग जाउँ बलिहारी।।