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आली! कौन चलै ब्रज की गलियन, बनवारी रारि करै।।
लै गागरि पनियाँ कौं निकसी, चूनरि रंग भरै।।
राह बाट निकसन न देत है, लंगर लँगरि करै।।
‘रामप्रताप’ छक्यौ यह डोलै, काहू सों न डरे।।