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गद-गद बैन नैन जल बरषत, मुख सुखमा कुम्हिलानी।।
हृदय अधीर शरीर शिथिल सब, रघुवर पद लपटानी।
अंजुलि जोरि निहोरि सकल विधि, बोली आरति बानी।।
अनुचरि जानि साथ मोहि लीजै, नाथ के हाथ बिकानी।
”हरि विलास“ रघुनाथ सिया लषि, समुझावत सुनु स्यानी।।