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सखी तू कैसे अचेत पड़ी।।
चीर समारि निहार बाबरी, टूट रही दुलरी।।
जा बिरियाँ तू गई ननद घर, जानें वो कैसी घड़ी।।
”नारायण“ मग में कछु डरपी, बात यही सिगरी।।