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सजन तोहि मुख देखे की प्रीत।।
तुम अपने यौवन मदमाते, कठिन विरह की रीत।।
जहाँ जाउ तहँ हँसि हँसि बोलत, गावत रस के गीत।।
‘हरीचन्द’ मधुवन के भौंरा, हौ मतलब के मीत।।