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तुम भोरही आये होरी खेलन, राति कौन के रंग में रँगे हौ लाल।।
पलक पीक अंजन अधरन अरू, दियौ है महावर तिलक भाल।
‘राम प्रताप’ चतुर भामिनि बे, जिन मुख कियौ है गुलाल लाल।।