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अँखियन भरत अबीर, बीर मोरी पीर न जानैं।।
हार तोरि गलगुँज मरोरी, लै अबीर मुख सानै।।
रोके सै औरहु उरझत है, लै पिचकारी तानैं।।
‘ललित किशोरी’ बरजत हारी, नंदनँदन नहि मानैं।।