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मेरौ मन बसि गयौ, गिरधारी लाल सों।।
मुसलाधर ताड़ तड़ातड़ सों, बृज की बनिता सब लोग डरें,
लखि गोपी ग्वाल पुकार करी, बृज दूलह नंद किशोर की जै।
वाकी जै कि वाकी जै, जसुमति कौ यह बालक है।।