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होरी आई रे कान्ह ब्रज के बसिया।।
अपने री अपने भवन से निकसीं, कोऊ साँवर कोऊ गोरी।
आइ अचानक कृष्ण मुरारी, पकरी बहियां मोरी,
जाय कहैं हम नन्द बबा सौं, कान्ह करत बरजोरी।।
बाजत ताल मृदंग झांझ ढ़फ, नाचत छोरा छोरी।
ताता थेई ताता थेई, ता थेई ता थेई थेई,
धाकिट धुमकिट, धमक धमाकट,
कट किट कट किट किटक किटाकिट, किट धा किट धा।।