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मति मारै दृगन की चोट, रसिया होरी में,
मेरे लग जायगी।।
अवकी चोट बचाय गई सधिकैं, कर घूँघट की ओट,
भलाजी देखो कर घूँघट की ओट। रसिया०।।
हम तो हैं गोरी लाज लजीली, तुम में हैं बड़े खोट,
भलाजी देखो तुम में हैं बड़े खोट। रसिया०।।
रसिक गोविन्द वहीं जाय खेलौ, जहां मिलै तेरी जोट,
भलाजी देखो मिलै तुम्हारी जोट, रसिया०।।
”चन्द्रसखी“ भजु बाल कृष्ण छबि, हरि चरनन की ओट,
भलाजी देखो हरि चरनन की ओट, रसिया०।।