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अंग लिपट हंसि हा हा खाय, होरी खेली न जाय।।
भर भर झोर अबीर उड़ावै, केशर कुमकुम मुख लपटावै,
या होरी कौ कहा उपाय।।
कोरे-कोरे माटन केशर घोरी, पचरंग चूनरि रंग में बोरी,
घर जाओं सुन सास रिसाय।।
घूँघट में पिचकारी मारै, सारी चोली, लंहगा फारैं,
मुख सौं आंचल देय हटाय।।
ग्वाल-बाल सखियन ने घेरो, अतर अरगजा नैनन गेरो,
कनक कलस रंग सिरसों च्वाय।।
सखियन पकरे नन्द के लाला, लाली रूप बनायौ बाला,
काजर मिस्सी दई लगाय।।
साड़ी और लंहगा पहरायौ, टिकुली सेंदुर मांग भरायौ,
सीस ओढ़ना दयो उढ़ाय।।
हाथन मेंहदी पांय महावर, बिछुआ पायल पहरें गिरधर,
अदभ्ुत शोभा बरनी न जाय।।
कानन झुमका बालाबारी,नथुनी बलकी बेसर धारी,
सोलह सिंगार दियौ है रचाय।।
जसुदा ढ़िंग लालन घर धाई, देत उरहनौ बहुत खिजाईं,
‘अवधबिहारी’ मन ललचाय।।