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होरी खेलन आयौ श्याम, आज जाहि रंग में बोरौ री।
कोर-कोरे कलस मंगाए, बामें केसर घोरौ री।
रंग-विरंग करौ, याकों, कारे सैं गोरौ री।।
पार परौसिन सब मिलि कें, आंगन में घेरौ री।
राधा जी के करै निहोरे, तब जाय छोड़ौ री।।
हरे बाँस की बांसुरिया, जाहि तोर मरोरौ री।
तारी दै दै जाहि नचावौ, अपनी ओरौ री।
‘चन्द्रसखी’ की यही बीनती, जब करै निहोरौ री।
हा-हा खाय परै जब पैयाँ, तब जाहि छोरौ री।।