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आज बिरज में होरी रे रसिया, होरी रे रसिया बरजोरी रे रसिया।।
कौन के हाथ कनक पिचकारी, कौन के हाथ कमोरी रे रसिया।।
कृष्ण के हाथ कनक पिचकारी, राधा के हाथ कमोरी रे रसिया।।
अपने री अपने घर से निकसीं, कोई श्यामल कोई गोरी रे रसिया।।
उड़त गुलाल लाल भये बादर, केसर रंग में घोरी रे रसिया।।
बाजत ताल मृदंग झांझ ढफ, और नगारे की जोड़ी रे रसिया।।
कै मन लाल गुलाल मँगायो, कै मन केसर घोरी रे रसिया।।
सौ मन लाल गुलाल मँगायो, दस मन केसर घोरी रे रसिया।।
‘चन्द्रसखी’ भज बालकृष्ण छबि, जुग-जुग जियौ यह जोड़ी रे रसिया।।