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तेरौ छैला गुपाल, नैननि में तकि मारै गुलाल।।
गोकुल गलियन धूम मचावै, आपु नचै और मोहि नचावै,
तारी बजाय सब आय गये ग्वाल।।
कर सोहै कंचन पिचकारी, भरि भरि सो मेरी छतियन मारी,
देखत है मेरो रूप लुभाय।।
रपटि परी हों केशरि कींचें, बे भये ऊपर हों भयी नीचें,
या ऊधम कौ कौन हवाल।।