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यह बसन्त जोवन मदमातौ, नेह सुरंग बरसाइ लै री।।
जोवन जाय बहुरि नहिं एै हैं, फगुआ खेल खिलाइ लै री।।
लागहु मान कान होइ प्रमुदित, जोवन सुख उपजाय लै री।।
मिलिहैं बहुरि नेम सौं रसिया, जिय की हवस मिटाइ लै री।।