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विश्वामित्र को यज्ञ सफल कियो, कठिन धनुष के भंजन कों।।
जामवंत सुग्रीव नील नल, कपिदल पार उतारन कों।।
दशरथनन्दन आनद कंदन, काटत जम के फंदन कों।।