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मैं तो उनहीं कों रंग भिजोऊँगी, जिन मोरी अंगिया दई भिजोइ।।
संग की सखी सखा सब संग लै, मैं तो कुँज गलिन कों जाऊँगी।।
गारी दूँगी और रार भी करूँगी, मैं तो राधा कन्हैया बनाउँगी।।
बदला लूँ तो अबीर उड़ाऊँ, जद अचपत होरी गाउँगी।।