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दीजै मनुआँ लगाय, साँवरे सों यारी कीजै।।
वाकौ नाम अधम उद्वारन, गावत मुनि समुदाय।।
भवसागर सों तरन जो चाहौ, वाकौ यही उपाय।।
‘जानकीदास’ अभय सुख हृ है, दीन्हों गुरू ने बताय।।