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हरदौल कला तेरी जागि अरे।।
घोड़ा मारि तिलंगा मारे, और मारे चपरासिय रे।।
कौने तेरो मठ बनवाऔ, कौने तेरो मठ नहिं रे,
और कौने कलंगी फेरी रे।।
राजा तेरौ मठ बनवाऔ, राजा तेरौ मठ नहिं रे,
और रानी कलंगी फेरी रे,
कौन की लाल कनात लगी है, कौन की लाल कनात न रे,
और कौनें तम्बू ताने रे,
रानी की लाल कनात लगी है, रानी की लाल कनात न रे,
और राजा तम्बू तानै रै।।