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सब कारे अजमाए, उधौ सब कारे।।
कोयल के सुत कागा पाले, हंसि हंसि कंठ लगाए।
बड़े भए जब उड़ने लागे, कुल अपने कों धाए।।
कारे कारे विषधर कहिए, काचे दूध पिआए।
कुंज गलिन में राधा डसि लईं, नेकु तरस नहिं खाये।।
कारे कारे भौंरा कहिए, कली कली फिरि आए।।
टूटी कली गिरी धरती पै, फेरि बाग नहिं आऐ।।
कारे कारे मेघा कहिये, सावन भादों छाए।।
कारे बलम हमारे कहिये, फेरि सेज नहिं आए।।