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छाँड़ौ छाँड़ौ श्याम मेरी बहियाँ, मैं परति तिहारे पैयाँ।।
तुम चंचल चपल गिरधारी, ब्रज रसिया अजब खिलाड़ी,
हम अबला निपट अनारी, मेरी बारी उमरि लरिकैयाँ।।
मुसिक्याय प्रेम बस कीन्हों, मेरी नस नस को रस लीन्हों,
पर हित बस गोरस छीनौ, सखी या ब्रज में नहि जैयाँ।।
मेरी तासे की अँगिया फारी, सारी सब टूक टूक करि डारी,
कहाँ आनि फँसी दई मारी, यही बार बार पछितैयाँ।।