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रसिया कों नारि बनाओं री।।
कटि लँहगा गल माँहि कंचुकी, सिर सों चुनरि उढ़ाऔ री।।
हाथन मेंहदी पाँव महावर, नकबेसरि पहनाऔ री।।
‘नारायण प्रभु’ तारी बजाय कें, जसुमति निकट नचाऔ री।।