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आई री ढफ बाजन लागे, माती होरी।।
माती होरी मातौ कन्हैया, माती राधा गोरी।।
अपने री अपने भवन तें निकसीं, कोऊ साँवरि कोऊ गोरी।।
चोवा चन्दन और अरगजा, केसरि कुमकुम रोरी।।
‘चन्द्रसखी’ भजु बालकृष्णछवि, चिर जीवहु यह जोरी।।