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एक दिन राम आप बतरामें, कैसे भव कौ भार हटामें।।
जब से सीय ब्याह कैं आए, नित नये ध्यान उर आमें।
हमने जन्म लियो धरनीतल, संतन कष्ट मिटामें।।
दिन नहीं चैन रात नही निंदिया, कैसे धीरज लामें।
इतने मैं ब्रम्हा जी आए, क्षण में शोक नसामें।।
हम जानी तुम अन्तरयामी, चाहत सब सुख पामें।
चिन्ता एक लगी है उर में, कैसे भेद जतामें।।
जग के कर्ता राह बतामैं, हम हौनी भिजवामें।।
जाही सौ सब काज सरैगो, जग में कीरत छामें।।