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बैठी कामिनि मांग सम्हारै, मलि मलि अतर लगायौ रे।।
करि सिंगार चतुर अलबेली, अँखियन कजरा लगायौ रे।।
चुनि चुनि कलियन सेज बिछाई, जागत अँखियाँ सुजायौ रे।।
सुअना हाथ हम पाती भेजी, नित उठि काग उड़ायौ रे।।
फागुन भरि सब मौज करति हैं, हमको जोग पठायौ रे।।