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ऊँची अटारी ईंट की रे, तापर चढ़ौ न जाय।
वा निरमोहिया सों यों जाइ कहियो, गोद धरै लै जाय।।
आधी राति पहर को तरकौ, सोवै सब संसार।
विरहा की मारी जागती, जाकी पतरी कमर बल खाय।।