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तुम्हरे ही रँग में हम सब राँची, एक ही रँग सुहावै।
इह पार गोकुल उह पार मथुरा, सेवा कर फल पावै।।
हम अदना हैं तुम विधना हो, गोविन्द के गुन गावै।
धन्य गुसइयाँ धनि तेरी महिमा, पुनि भाखत सुख पावै।।