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माई मैंने देखे नंदकुमार।।
गोपी नाचैं ग्वाल रिझावैं, हरसैं सब नर-नारि।।
बंसुरी बारौ ओझिल है गयौ, ढूँढै जसुदा द्वार।
राधे आईं रँग भरि लाईं, छिरकैं केसरि फुहार।।
जसुमति मैया ढूँढै कन्हैया, निरखै नैन निहारि।
आँखि मूँदि के टेर लगावै, कहाँ हो मेरे दुलार।।
इतनी सुनि के हरि उठि आये, लीन्हों प्रेम पसार।
‘नारायण’ प्रभु अन्तर्यामी, लीन्हैं भगत उबार।।