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श्याम तेरी मूरति नैन बसी।।
सोवत देखी जागत देखी, पाई न ऐसी छबी।।
नेकहू ठौर बची नहिं साजन, मो मन ऐसी धँसी।।
अन्दर बाहर भयौ श्याम मय, मानहुँ मंत्र डसी।।