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उठि मिलि लै राम लखन आए, उठि मिलि लै।।
रामहूँ आए लखनहू आए, मातु जानकी संग लाए।।
रावण मारि बाकी लंक उजारी, राज विभीषण दै आए।।
मकुना हाथी जापै जरद अम्बारी, हनुमत चँवर ढुरत आए।।
”तुलसीदास“ आस रघुवर की, अवधपुरी आनंद छाए।।