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भली भई यह हो होरी आई, घर आये घनश्यामा।।
धनि तेरी भाग सुहाग लड़ैती, तो सम और न बामा।।
काजर दै, मुख माँडि हरद सों, राधे पूरन कामा।।
‘सूरज प्रभु की इच्छा पुजवत, सीता मिली श्री रामा।।