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दो गोरी दो साँमरी, चारों मिलि पनियाँ जाँइ।।
अगिली कै काँटौ लागौ प्रेम को, और पिछली मुरि मुरि झोका खाइ।।
दो गोरी दो साँमरी, चारों बजारैं जाँइ।।
गोरी बिसायौ काजरा, और साँमलरा मुख पान ननदी।।