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कोऊ मधुवन की डगर न बतावै।।
रथ तौ मेरौ आली दूरि निकसि गयौ, चलत गगन दरसावै।
आयौ क्रूर लैन उन हरि कां, जो ठाकुर कहवावै।
है कोऊ सूर हमारौ बृज में, चलत श्याम बिलमाबै।