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मदन मोहन नन्द को लाल, हाथ लिये गुलाल बाल।।
ग्वालवाल निपुण नाल, मची बृज में होरी।।
गोरी नाचत गावत हँसत कोऊ, अरगजा अंग मलत कोऊ।।
भाँति भाँति खेल ख्याल, रचहिं बाम भौरी भौरी।।
उड़त अबीर फेंकत रंग, कुमकुमा कोऊ मारत अंग।।
लालन ललिन भरे उमंग, मलहिं बदन रोरी गोरी।।