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भटकि रहे प्राण हमारे, जब से श्याम सिधारे।
बारह बरस संग संग खेले, सुखसों दिवस गुजारे।।
ए अब ऊधौ ध्यान धरौ नटवर कौ, सपनेहिं पाँइ पखारे,
प्रात होत सुपलक सुत भेजौं, लइओ मधुवन द्वारे।।
ए अब गोकुलवासी व्याकुल डोलैं, कहाँ गए प्राण हमारे।
हमकों उन बिन कल न परति है, तड़फत नैन विचारे।।