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मोहन तुम जिनि जानों ढीठ लँगर हौ, हमहूँ तुम सन अगरीं।।
हमरौ गाँव बरसानौ कहियत, तुम्हरी गोकुल नगरी।।
तुम्हरे सँग में ग्वाल बहुत हैं, हमहूँ सखियाँ सिगर°।।
तुम्हरे सिर पर मोर मुकुट है, हमरे सिर पर चुनरी।।