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लाड़िली मान न करियै, होरी के दिनन में, कहा तुम्हारी बान।
बरस दिना कौ द्यौस लाड़िली, बैठी हौ भौंहें तान।।
मानि सिखावन लेहु आपने, यह जिय में धरि ध्यान।
‘गुनविलास’ पिय दूरि उठि चलौ, रूप केलि की खान।।