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गोरी गोकुल गाँव न बसियै, जौ लों होरी फागुन मास।
बाहिर दुरजन लोग चबाई, घर में बैरिन सास।।
जौ खेलों तौ पिय अपने संग, मन में अधिक हुलास।
जाहु चले बलिहार बिहारी, पिया मिलन की आस।।