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गाँव रसवादी के डर डरियै, पनियाँ कैसे जाउ।
सुनियत है बंसीवट बारे, धूमधाम घमसान।।
या डर सों घर सों नहि निकसों, धरति न बाहिर पाँव
गात छुअत वह ढीठ ‘तोषनिधि’, लोग करत बदनाम।।