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जा काहू कों मिलहिं श्याम, कहि दीजौ हमारी राम राम।।
गलिन-गलिन अरू द्वार-द्वार पै, होरी की है रही धूम-धाम।।
खान-पान राधा तजि दीन्हों, ध्यान तुम्हारौ आठों याम।।
‘हरिबिलास’ हरिसां जाइ कहियो, क्यों छोड़ी राधा सी वाम।।