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भरी सभा कौरव की बैठी, बड़े-बड़े बलकारी।
भीष्म, द्रोण कर्ण दुर्योधन, दुःशासन कुवद विचारी।।
पाण्डव पुत्र भये अति दुर्बल, ऐसी बात विचारी।
अर्जुन धरे ना धनु गांडिव को, भीम गदा नहीं धारी।।
अब तो कृष्ण कसर कछु नाहीं, करन चाहत है उघारी।
सूर के स्वामी वेग पधारो, देखो घात हमारी।।