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आवण-आवण कहि गया साँवरा, कर गया कौल अनेक।
गिणताँ गिणताँ घिसि गईं म्हारी, आँगुलियाँ री रेख।।
मोर - मुकुट पीताम्बर सोहै, घूँघरवाला केस।
‘मीरा’ के प्रभु गिरिधर नागर, कब आवौ इहि देश।।