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जो तुम श्याम कूबरी सों राजी, कूबरी आजु कहाँ तें ल्याऊँ।।
कालिन्दी सों जल भरि ल्याऊँ, प्रेम सहित असनान कराऊँ।
अतर फुलेल मलौं तेरे मुख पै, घिसि-घिसि चन्दन अंग लगाऊँ।।
चंदन काटि कें पलँग बनाऊँ, रेशम बाननि तै बुनवाऊँ।
तोसक तकिया गिलम गेंडुआ, अगल बगल गलसुइयाँ लगाऊँ।
कदली खम्भ विरिछ उदबुद के, बिच-बिच मौलसिरी लगवाऊँ।
नये-नये पात मँगाइ आम के, द्वारे पै बन्दवार बँधाऊँ।