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किस घर दीन्हों बकस मेरी माय, मेरा बाला जुवनवा यांही जायरे।
सूनी सेज मोहे निंदिया न आवे, कारी नगिनिया सी डस डस जाय रे।
रूठे पिया कों मैं कहाँ नों मनाऊँ, जब ही मनाऊँ तब रुठि रुठि जाय रे।
आेंरन सों पिया हँसत बोलत है, हमरो पिया हमसे रुठौ-रुठौ जाय रे।