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कान्ह तोहि ऐसी मति कौने दई।।
देखि पराई नारि सलोने, होरी करत नई।।
डार गुलाल आज अँखियन में, भुज भरि अंक लई।।
केशरि की पिचकारी मार कें, बहियाँ पकर लई।।