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मानौ या न मानौ मेरी सुनौ या न सुनौ,
मैं तो तोही कौं न छाँड़ौंगी, अरे साँवरे।।
जामें लाज सरम की कहा बात रे, जब प्रेम के पन्थ दियौ पाँव रे।
याही नगर के लोग लुगाई, धरैंगे नाम तौ धरौ नाम रे।।
सासु लड़ै या ननदिया लड़ै मो सौं, रुठि क्यां न जाय सबइ गाँव रे।
तू मत रुठै अरे मेरे प्यारे, मैं बैठी रहौंगी तेरी छाँव रे।।
अपनी मौज तेरे संग चलौंगी, पल्ला पकरि सौ-सौ दाँव रे।
अहो श्यामसुन्दर मोहि ना बिसारो, मैं तेरी कहाय कहाँ जाउँ रे।।